Chanakya Niti kavya anuvad Chapter 6

cn 1

ads
featured image

सुनकर दुर्बुद्धि हट जाती, सुनकर ज्ञान है मानव पाता । मोक्ष भी मिलता सुन सुन करके, सुनकर धर्म समझ में आता

पशुओं में कुत्ता चांडाल, खग में कौवा की यह चाल । सबसे बड़ा निंदक चांडाल, करे पाप मुनी में यह हाल ।

कांस्य पात्र करे राख सफाई, ताम्र पात्र इमली की खटाई । त्रिया शुद्धि रजस्वला से, धारा बैग से नदी सफाई ।

राजा, ब्राह्मण, योगी आदि, भ्रमण करने वाला पूजित । भ्रमण करती जो है नारी, नष्ट भ्रष्ट बने कुबिचारी ।

जहां धन है मित्र बहुत है, बहुत है बंधु धनी अगर जन । जो है धनी कहाए पंडित, श्रेष्ठ गिनाए जिसको है धन ।

जैसी भावी वैसी बुद्धि पाता है जन, वैसा ही उपाय सहायक मिलता उसको । जीवन का यह चक्र सदा ऐसा ही चलता, जिसकी जैसी चाह मिला वैसा ही उसको ।

काल चबाता है सब तन को, भक्षण करता है सब जन को । सोता जग, कभी काल न सोता, टाल सका कौन काल क्रम को ।

जन्म से अंधा, कामुक बंदा, धनलोलुप जन, मद में अंधा । स्वार्थ सिद्ध जन, नहीं देखता, परख न पाए दोष का धंधा ।

जीव स्वयं ह्रीं कर्म है करता, फल उसका भी भोगे स्वयं । भ्रमण करता स्वयं जगत में, उससे मुक्त हो जाए स्वयं ।

राजा राज्य में किया हुआ अपने पापों को, पुरोहित राजा द्वारा किए पापों को । पति भोगे अपनी पत्नी के ही पापों को, गुरु शिष्य किया है उन पापों को ।

कर्जदार पिता है शत्रु, पुत्र मूर्ख अविचारी जो । रूपवती भार्या है शत्रु, माता गर व्यभिचारी हो ।

धन से लोभी वश में होता, नतमस्तक हो दंभी जन । जब जैसा तब तैसा मूर्ख जन, सत्य से वश हो पंडित जन ।

छोड़ो वह देश जो कुदेश से भी छोटा है, त्यागो वह मित्र जो कुमित्र से भी ओछा है । छोड़ो वह शिष्य जो कुशिष्य से भी पीछे है, त्यागो वह नारी जो कुनारी से भी नीचे है ।

कुनृप देश में प्रजा न सुखी, बुरे मित्र न देते खुशी । बुरी हो पत्नी गृह सुख कैसा, मूर्ख शिष्य से यश हो जैसा ।

सिंह से एक एक बगुला से, मुर्ग से चार, तीन गदहा से । कौवा से गुण पांच परखिए, कुत्ता का गुण छः निरखिए ।

कार्य बड़ा हो या छोटा हो, सिंह लगाकर पूरी शक्ति | सफल बनाता है वह उसको, एक सीख देती यह सूक्ति ।

संयम इंद्रियों पर रख करके, समझ देश काल, अपना बल को, बगुला साधे सब कार्यों को, भाये यह एक गुण सफल को ।

जागना प्रातः ठीक समय पर, लड़ना लड़कर बंधु भगाए । झपट झपट कर भोजन करना, चार ये बातें मुर्ग सीखाए ।

मैथुन करना शांत एकांत में, समय-समय पर संग्रह करना । सावधान और चौकस रहना, पर विश्वास कभी न करना । 5 गुण कौवा सखलाए. बने चतुरजन जो अपनाए।

बिन थके ही बोझा ढोना, नहीं देखना गर्मी शीत । रहे निरंतर संतोषी बन, बातें 3 गदहा से सीख ।

स्वामी भक्ति, अल्पाहारी, गहरी निद्रा, रहना भूखा, जा झटपट शूरवीरता । 6 बातें सीखलाए कुत्ता |

ये 20 गुण हैं बड़े काम के, अचूक सफलता बाण राम के । शुभ भविष्य उज्जवल आशा, ये गुण नाशे सभी निराशा ।

See also  अध्याय पंद्रह: चाणक्य नीति
ads

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quotes for Students Chanakya Books