पांचवा अध्याय : चाणक्य नीति

पांचवा अध्याय ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए . दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए . पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर […]

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अध्याय सात: चाणक्य नीति

चाणक्य नीति सम्पूर्ण अध्याय सात एक बुद्धिमान व्यक्ति को निम्नलिखित बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए .. १. की उसकी दौलत खो चुकी है. २. उसे क्रोध आ गया है. ३. उसकी पत्नी ने जो गलत व्यवहार किया. ४. लोगो ने उसे जो गालिया दी. ५. वह किस प्रकार बेइज्जत हुआ है. जो व्यक्ति आर्थिक […]

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अध्याय छह : चाणक्य नीति

चाणक्य नीति सम्पूर्ण अध्याय छह श्रवण करने से धर्मं का ज्ञान होता है, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया की आसक्ति से मुक्ति होती है. पक्षीयों में कौवा नीच है. पशुओ में कुत्ता नीच है. जो तपस्वी पाप करता है वो घिनौना है. लेकिन जो दूसरो की निंदा करता है […]

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अध्याय सत्रह: चाणक्य नीति

चाणक्य नीति सम्पूर्ण अध्याय सत्रह वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के आशीर्वाद से कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में नहीं चमकता है. उसी प्रकार जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती. हमें दुसरो से जो मदद प्राप्त हुई […]

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अध्याय सोलह: चाणक्य नीति

चाणक्य नीति सम्पूर्ण अध्याय सोलह स्त्री (यहाँ लम्पट स्त्री या पुरुष अभिप्रेत है) का ह्रदय पूर्ण नहीं है वह बटा हुआ है. जब वह एक आदमी से बात करती है तो दुसरे की ओर वासना से देखती है और मन में तीसरे को चाहती है. मुर्ख को लगता है की वह हसीन लड़की उसे प्यार […]

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अध्याय पंद्रह: चाणक्य नीति

चाणक्य नीति सम्पूर्ण अध्याय पंद्रह वह व्यक्ति जिसका ह्रदय हर प्राणी मात्र के प्रति करुणा से पिघलता है. उसे जरुरत क्या है किसी ज्ञान की, मुक्ति की, सर के ऊपर जटाजूट रखने की और अपने शारीर पर राख मलने की. इस दुनिया में वह खजाना नहीं है जो आपको आपके सदगुरु ने ज्ञान का एक […]

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अध्याय चौदह: चाणक्य नीति

चाणक्य नीति सम्पूर्ण अध्याय चौदह गरीबी, दुःख और एक बंदी का जीवन यह सब व्यक्ति के किए हुए पापो का ही फल है. आप दौलत, मित्र, पत्नी और राज्य गवाकर वापस पा सकते है लेकिन यदि आप अपनी काया गवा देते है तो वापस नहीं मिलेगी. यदि हम बड़ी संख्या में एकत्र हो जाए तो […]

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अध्याय तेरह: चाणक्य नीति

चाणक्य नीति सम्पूर्ण अध्याय तेरह यदि आदमी एक पल के लिए भी जिए तो भी उस पल को वह शुभ कर्म करने में खर्च करे. एक कल्प तक जी कर कोई लाभ नहीं. दोनों लोक इस लोक और पर-लोक में तकलीफ होती है. हम उसके लिए ना पछताए जो बीत गया. हम भविष्य की चिंता […]

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अध्याय बारह : चाणक्य नीति

चाणक्य नीति सम्पूर्ण अध्याय बारह वह गृहस्थ भगवान् की कृपा को पा चुका है जिसके घर में आनंददायी वातावरण है. जिसके बच्चे गुणी है. जिसकी पत्नी मधुर वाणी बोलती है. जिसके पास अपनी जरूरते पूरा करने के लिए पर्याप्त धन है. जो अपनी पत्नी से सुखपूर्ण सम्बन्ध रखता है. जिसके नौकर उसका कहा मानते है. […]

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अध्याय ग्यारह: चाणक्य नीति

चाणक्य नीति सम्पूर्ण अध्याय ग्यारह उदारता, वचनों में मधुरता, साहस, आचरण में विवेक ये बाते कोई पा नहीं सकता ये मूल में होनी चाहिए. जो अपने समाज को छोड़कर दुसरे समाज को जा मिलता है, वह उसी राजा की तरह नष्ट हो जाता है जो अधर्म के मार्ग पर चलता है. हाथी का शरीर कितना […]

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